रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा, भारत पर इसका प्रभाव होगा कम
नई दिल्ली । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने वृहस्पतिवार को कहा कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन का लगभग 60 देशों पर लगाया गया जवावी शुल्क का दांव उल्टा पड़ेगा और भारत पर इसका प्रभाव कम होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने सभी व्यापारिक साझेदारों से आयात पर 10 फीसद से लेकर 50 फीसद तक अतिरिक्त मूल्य आधारित शुल्क लगाने की घोषणा की है।
उन्होंने कहा, हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि अल्पावधि में, इसका सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण रूप से अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। यह ‘सेल्फ गोल’ (खुद को नुकसान पहुंचाने ) है ।अन्य देशों पर पड़ने वाले प्रभावों की वात करें तो भारत के निर्यात पर किसी भी शुल्क का सीधा प्रभाव यह होगा कि अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए कीमतें बढ़ेंगी, इससे उनकी मांग कम होगी और फलस्वरूप भारत की आर्थिक वृद्धि प्रभावित होगी। दस फीसद का मूल शुल्क पांच अप्रैल से और 27 फीसद का मूल शुल्क पांच अप्रैल से और 27 फीसद नौ अप्रैल से प्रभावी होगा। कुछ क्षेत्रों को शुल्क से छूट दी गई है। इनमें औषधि, दी गई है। इनमें औषधि, सेमीकंडक्टर और ऊर्जा उत्पाद शामिल है।
इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा
जाने-माने अर्थशास्त्री ने कहा, ‘वास्तव में, चूंकि अमेरिका ने अन्य देशों पर भी शुल्क लगाया है तथा भारत उन देशों के उत्पादकों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है ऐसे में कुल मिलाकर इसका प्रभाव केवल भारत पर शुल्क लगाने के मुकावले कम होगा क्योंकि अमेरिकी उपभोक्ता विकल्प के तौर पर गैर- शुल्क उत्पादकों के पास तो जा पाएंगे नहीं। वर्तमान में विजनेस स्कूल, शिकागो बूथ में प्रोफेसर, राजन ने कहा कि ट्रंप का दीर्घकालिक मकसद अमेरिकी उत्पादन को बढ़ाना है, लेकिन, यदि यह संभव भी हो, तो इसे हासिल करने में लंबा समय लगेगा।
उन्होंने एक सवाल के जवाव में कहा कि भारत पर अमेरिका के जवावी शुल्क संभवतः भारत पर अमेरिका के जवावी शुल्क संभवतः महंगाई बढ़ाने वाला नहीं होगा, क्योंकि भारत कम निर्यात करेगा और घरेलू स्तर पर आपूर्ति अधिक होगी। चीन जैसे अन्य देश अव भारत को निर्यात करने का प्रयास करेंगे, क्योंकि अमेरिकी बाजार अधिक वंद है। यह पूछे जाने पर कि क्या भारत इस संकट को अवसर में वदल सकता है, राजन ने कहा, ‘हम निश्चित रूप से उन शुल्क को कम कर सकते है जिन्हें हम वढ़ा रहे है।
यह भारत के लिए फायदेमंद होगा, भले ही इससे हमें अमेरिकी शुल्क को कम करने में मदद मिले या नहीं।’ उन्होंने कहा कि भारत को यह समझने की आवश्यकता है कि दुनिया बहुत अधिक संरक्षणवादी हो गई है, इसलिए हमें व्यापार को लेकर अधिक चतुराई से काम करना होगा।
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